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Abhivyakti ki swatantrata

                            अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता                     अभिब्यक्ति की स्वतंत्रता अर्थात किसी सूचना या विचार को बोलकर, लिखकर या किसी अन्यर रूप में बिना किसी रोकटोक के अभिव्यक्त करने की स्वतंत्रता अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहलाती है।                                  नाटक रंगमंच अथवा सिनेमा या कोई भी कला अभिव्यक्ति का माध्यम है अपने विचारों के संप्रेषण का माध्यम है। अतः इसमें भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जरूरी हो जाती है। बात करें अगर नाटक की तो नाटक संप्रेषण का सबसे बड़ा माध्यम है जिसमें आमने - सामने अपनी बातों को, अपने विचारों को रख पाते हैं अतः इसकी स्वतंत्रता,  या कहें नाट्याभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है। किंतु ऐसा नहीं है नाटक रंगमंच के द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हमेशा से दोहन होता रहा है, जो कि समाज के द्वारा हो अथवा राजनीति के द्वारा। उदाहरणस्वरूप विजय तेंडुलकर या बादल  सरकार, सफदर हाशमी आदि ऐसे कई बड़े कलाकार हैं जो रंगमंच से जुड़े रहे हैं, नाटक लिखते रहे हैं जिनके नाटकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया तथा चलते प्रदर्शन को रोक द

Pradarshankari kala me aapda prabandhan

        प्रदर्शनकारी कला में आपदा प्रबंधन आपदा                         आपदा अर्थात बिना पूर्व सूचना के ऐसी घटी घटना या आया ऐसा संकट जिससे शारीरिक तथा आर्थिक हानि हो या कार्य में विघ्न पड़े आपदा कहलाती है। आपदा कई प्रकार के होते हैं जैसे बाढ़ सुखाड़ भूकंप महामारी ओलावृष्टि बादल का फटना बिल्डिंग का गिर जाना इत्यादि                            जब बात करें रंगमंच की तो रंगमंच में भी आपदा आ सकती है। रंगमंच में भी बिना किसी पूर्व सूचना के ऐसी घटना घट सकती है या ऐसा संकट उत्पन्न हो सकता है जिससे नाटक में उपस्थित कलाकारों के साथ-साथ दर्शक को शारीरिक हानि पहुंचे या आर्थिक क्षति हो अथवा प्रस्तुति में विघ्न पड़े। रंगमंच में आपदा दो प्रकार के होते हैं एक प्रस्तुति के दौरान दूसरा प्रस्तुति के पूर्व अभ्यास के दौरान दोनों ही समय में बिना किसी पूर्व सूचना के आया संकट आपदा कहलाता है ।                         अब आपदा है तो आपदा प्रबंधन भी ज़रूरी है। जिस प्रकार सामान्य आपदा के प्रबंधन की जाती है उसी प्रकार रंगमंच में भी रंगमंचीय आपदा का प्रबंधन भी किया जाता है और यह जरूरी भी है।  

Sanskrit Rangmanch ke Abhinay Siddhant

                संस्कृत रंगमंच के अभिनय सिद्धान्त              अभिनय अर्थात आगे की ऒर ले जाने वाला तत्व, सबको आगे की ओर ले जाने में नेतृत्व प्रदान करने वाला।                      अभिनय उस शक्ति का नाम है जो हाव - भाव, मुद्राएँ,  वाणी, विचार आदि को नेतृत्व प्रदान करे। और अपने मूल स्थान से आगे की और प्रेरित करे।               यतोहस्तस्ततो दृष्टि यातो दृष्टिस्ततो मनः।              यतोमनस्ततो भावः यातो भावस्ततो रसः।।                                                  जहां हाथ जाए वहीँ दृष्टि को जाना चाहिए, जहाँ मन जाये वहां मन को जाना चाहिए, जहाँ मन जाये वहां भाव को जाना चाहिए तथा जहाँ भाव जाये वहां रास को जाना चाहिए।                भारत  मुनि और नाट्यशास्त्र के अनुसार अभिनय के चार भेद हैं।      1. आंगिक।                                   2. वाचिक      3. आहारिक।                                 4. सात्विक                                 ऐसा कहा जाता है कि आत्मा कभी नही मरता केवल शरीर का त्याग करता है और दूसरे शारीर में प्रवेश करता है। जिस प्रकार जिव या आत्मा

Greek theatre and techniques

        ग्रीक रंगमंच की उत्त्पति एवं विकास                              प्रस्तावना                                  ग्रीक रंगमंच विश्व का सबसे पुराना रंगमंच मना जाता है। ऐसा माना गया है कि दुनिया में सबसे पहले रंगमंच की शुरुआत ग्रीस में हुई। ग्रीक रंगमंच मुख्यतः दो तरह के नाटकों के लिए जाना जाता है, ट्रेजेडी एंड कॉमेडी। ग्रीस में रंगमंच की शुरुआत ही ट्राजेडी से हुई। कॉमेडी बहुत बाद में आया। ग्रीक रंगमंच शुरुआत से ही विकसित रहा है। या यों कह सकते हैं कि ग्रीक रंगमंच की शुरुआत ट्रेजेडी से हुई, और हम सब जानते हैं कि त्रासदी में पनपी चीजें गंभीर, सुव्यवस्थित और विकसित होती है। शायद यही वजह है कि ग्रीस का रंगमंच शुरू से ही मज़बूत रहा।                       ग्रीक रंगमंच की शुरुआत 532 ई. पू. मना गया है। उस समय लिखे गए नाटकों और उसकी  प्रस्तुति से ही ग्रीक रंगमंच के समृद्ध होने का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। उस समय लिखे गए नाटकों को देखेने पर पता चलता है कि ये नाटक साहित्यिक रूप से भी मजबूत है। इसकी भाषा, इसकी बुनावट बिलकुल सधी हुई है। ये सही है कि किसी भी देश या राज्य की सभ्यता और संस