भोर के सपने (कहानी), Bhor ke Sapane (story)
भोर के सपने सपने, भोर के सपने, दादी कहती थी और माँ भी कि "भोर के सपने हमेशा सच होते हैं।" तब मैं सोंचता था कि भोर के सपने क्या सच में सच होते हैं, क्या दादी और मां का कहना सच है? हम जो सपने देखते हैं जिसमें केवल कुछ पलों अथवा घंटों का वृतांत होता है जिसमें उस समय तक पहुंचने का कोई आधार नहीं होता वह क्या सच में सच हो सकता है? आज मुझे महसूस हुआ कि भोर के सपने भले ही वास्तविक जीवन में सच हो अथवा ना हो, किंतु देखे गए सपने सच से कम भी नहीं होते। उस सपने का जो एहसास है, वह वास्तविक जीवन में कम नहीं होता। आज सुबह मैंने एक सपना देखा जिसका एहसास दिन के तीन पहर बीत जाने के बाद भी ज्यों का त्यों बना हुआ है। मेरे चेहरे की मुस्कान अभी भी ताज़ा है और मैं निरंतर उस सपने की मुस्कुराहट को वास्तविक जीवन में भी महसूस कर रहा हूं। पिछले कुछ समय से बहुत ही ज्यादा मोबाईल और लैपटॉप के इस्तेमाल से उकता कर मोबाईल को अपने से दस फुट दूर टेबल पर छोड़ कर सोया, वर्तमान समय की परिस्थितियों के बारे में सोचत