चश्मे के पार - Poem - New Era

चश्मे के पार
                        05 March 2020


 

चश्मे के पार
                        05 March 2020

ग़मों से भरी
आंखें तेरी
चश्मे के पार
साफ झलकती है
छुपे हैं
दर्द
दिल मे तेरे
साफ झलकती है
चुटकी बजा कर
मैं
तेरी तकलीफें
दूर तो नहीं कर सकता
पर
कोशिश रहेगी
हमेशा मेरी
दो पल के लिए ही सही
दिल मे सुकूँ
और
उन आंखों में
खुशी ला सकूँ
जो
साफ झलकती है
चश्मे के पार तेरे

Comments

  1. Very nice poem brother.Keep writing..all the best👍👍👍

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